CHHATH PUJA SIGNIFICANCE
Chhath is an ancient Hindu festival historically native to the Indian subcontinent,more specifically, the Indian states of Bihar, Uttar Pradesh, Jharkhand, and the Nepalese provinces of Madhesh and Lumbini. Prayers during Chhath puja are dedicated to the solar deity, Surya, to show gratitude and thankfulness for bestowing the bounties of life on earth and to request that certain wishes be granted.
We envision a vibrant tapestry of India's cultural diversity, celebrated through festivals and events that unite communities.
Our mission is to preserve our rich heritage, educate, and foster deep cultural appreciation. We provide a platform for all to contribute to our dynamic cultural landscape. Through cultural exchange and traditional knowledge promotion, we bridge understanding, ensuring our cultural identity thrives.
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ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं | अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ||
भगवान सूर्य देव को सम्पूर्ण रूप से समर्पित यह त्योहार पूरी स्वच्छता के साथ मनाया जाता है| इस व्रत को पुरुष और स्त्री दोनों ही सामान रूप से धारण करते है| यह पावन पर्व पुरे चार दिनों तक चलता है| व्रत के पहले दिन यानी कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाए खाए होता है, जिसमे सारे वर्ती आत्म सुद्धि के हेतु केवल शुद्ध आहार का सेवन करते है| कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन खरना रखा जाता है, जिसमे शरीर की शुधि करण के बाद पूजा करके सायं काल में ही गुड़ की खीर और पुड़ी बनाकर छठी माता को भोग लगाया जाता है| इस खीर को प्रसाद के तौर पर सबसे पहले वर्तियों को खिलाया जाता है और फिर ब्राम्हणों और परिवार के लोगो में बांटा जाता है| कार्तिक शुक्ल षष्टि के दिन घर में पवित्रता के साथ कई तरह के पकवान बनाये जाते है और सूर्यास्त होते ही सारे पकवानों को बड़े-बड़े बांस के डालों में भड़कर निकट घाट पर ले जाया जाता है| नदियों में ईख का घर बनाकर उनपर दीप भी जलाये जाते है| व्रत करने वाले सारे स्त्री और पुरुष जल में स्नान कर इन डालों को अपने हाथों में उठाकर षष्टी माता और भगवान सूर्य को अर्ग देते है| सूर्यास्त के पश्चात अपने-अपने घर वापस आकर सह-परिवार रात भर सूर्य देवता का जागरण किया जाता है| इस जागरण में छठ के गीतों का अपना एक अलग ही महत्व है| कार्तिक शुक्ल सप्तमी को सूर्योदय से पहले ब्रम्ह मुहूर्त में सायं काल की भाती डालों में पकवान, नारियल और फलदान रख नदी के तट पर सारे वर्ती जमा होते है| इस दिन व्रत करने वाले स्त्रियों और पुरुषों को उगते हुए सूर्य को अर्ग देना होता है| इसके बाद छठ व्रत की कथा सुनी जाती है और कथा के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है| सरे वर्ती इसी दिन प्रसाद ग्रहण कर पारण करते है| इस पर्व से जुड़ी एक पौराणिक परंपरा के अनुसार जब छठी माता से मांगी हुई मुराद पूरी हो जाती है तब सारे वर्ती सूर्य भगवान की दंडवत आराधाना करते है| सूर्य को दंडवत प्रणाम करने की विधि काफी कठिन होती है| दंडवत प्रणाम की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है: पहले सीधे खड़े होकर सूर्य देव को सूर्य नमस्कार किया जाता है और उसके पश्चात् पेट के बल जमीन पर लेटकर दाहिने हाथ से ज़मीन पर एक रेखा खिंची जाती है| इस प्रक्रिया को घाट पर पहुँचने तक बार-बार दोहराया जाता है| इस प्रक्रिया से पहले सारे वर्ती अपने घरों के कुल देवता की आराधना करते है|
Chhath Matra (छठ मन्त्र)
एष ब्रम्हा च विष्णुष्च शिव: स्कन्द: प्रजापती: ।
महेन्द्रोधनद: कालो यम: सोमो ह्यपाम्पति: ।।
एनमापत्सु क्रिच्छेषु कन्तारेषु भयेषु च ।
किर्तयन पुरुष्: कष्चिन्नवसिदती राघव ।।।
आदित्य्म सर्बकर्तंरं कलाद्वदाद्शम्युतमं ।
पद्महस्त्द्वयं वन्दे सर्वलोकैकभस्करमं ।।
छठ पूजा करने वाले वर्तियों को कई तरह के नियमों का पालन करना पड़ता है| उनमें से प्रमुख नियम निम्नलिखित है:
- इस पर्व में पुरे चार दिन शुद्ध कपड़े पहने जाते है| कपड़ो में सिलाई ना होने का पूर्ण रूप से ध्यान रखा जाता है| महिलाएं साड़ी और पुरुस धोती धारण करती है|
- पुरे चार दिन व्रत करने वाले वर्तियों का जमीन पर सोना अनिवार्य होता है| कम्बल और चटाई का प्रयोग करना उनके इच्छा पे निर्भर करता है|
- इन दिनों प्याज, लहसुन और मांस-मछली का सेवन करना वर्जित है|
- पूजा के बाद अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्राम्हणों को भोजन कराया जाता है|
- इस पावन पर्व में वर्तियों के पास बांस के सूप का होना अनिवार्य है|
- प्रसाद के तौर पर गेहूँ और गुड़ के आटों से बना ठेकुआ और फलों में केले प्रमुख है|
- अर्ग देते वक्त सारी वर्तियों के पास गन्ना होना आवश्यक है| गन्ने से भगवान सूर्य को अर्ग दिया जाता है|
Below mentioned is a step-by-step guide to Chhath Puja Vidi:
- Take a sacred piece of cloth and spread it over the holy area or the puja sthan.
- Place the idols of Lord Ganesha and Lord Surya on the red cloth.
- Start with the puja or worship process. Apply roli (vermillion) on the forehead of Lord Ganesha and Lord Surya.
- Put Chawal (rice) on the forehead of both idols. Make sure the pieces of rice aren’t broken.
- Lit incense sticks (Agarbatti) and wave gently in front of the idols.
- Lit the deepak (use ghee) in front of the idols and offer prasad such as fruits to Lord Ganesha and Lord Surya.
- Take a little chandan (sandal) in your mouth and keep it until sun rises.
- After taking the sandal in your mouth, you can either stand still or sit till the sun rises.
- If possible, visit Surya Mandir (Sun Temple).
- After sunrise, perform the same puja.
- Offer holy water to the rising sun.
- Distribute the khajur (date) among your family members and friends.